कमबख्त सैलेरी देख के ख्यालात बदल जाते हैं। अब तो वो चाक़ू ले के मेरे पीछे पड़ा है फ़राज़, वो ज़ालिम आज भी हमे देख कर मुस्कुराते हैं, आज वो अपनी ज़ुल्फ़ों में फूल लगा कर आई है, हम जान तो देदेंगे मगर जान का नोम्बर नही देंगे Do https://ok-social.com/story14374442/arz-kiya-hai-an-overview